इन्सान को कभी अपने वक़्त (Man at any time in his own time)

इन्सान को कभी अपने वक़्त (Man at any time in his own time)

इन्सान को कभी अपने वक़्त (Man at any time in his own time)
पर घमन्ड नही करना चाहिए
क्योंकि
वक़्त तो उन नोटों का भी
नहीं हुआ
जो कभी पूरा बाजार खरीदने
की ताकत रखते थे

ज़िन्दगी है साहब,
छोड़कर चली जाएगी,

मेज़ पर होगी तस्वीर,
कुर्सी खाली रह जाएगी।।

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