रिश्ते कभी भी “कुदरती” मौत नहीं मरते (Relationship never die of “Naturally”death)
इनको हमेशा “इंसान” ही क़त्ल करता है,
“नफ़रत” से,
“नजरअंदाजी” से,
तो कभी “गलतफ़हमी” से.
रिश्ते कभी भी “कुदरती” मौत नहीं मरते (Relationship never die of “Naturally”death)
इनको हमेशा “इंसान” ही क़त्ल करता है,
“नफ़रत” से,
“नजरअंदाजी” से,
तो कभी “गलतफ़हमी” से.