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‘रिश्ते’ और ‘रास्ते’ के बीच,(Between ‘ relationships ‘ and ‘ pathways ‘)

‘रिश्ते’ और ‘रास्ते’ के बीच,(Between ‘ relationships ‘

and ‘ pathways ‘)
एक अजीब रिश्ता होता है।
कभी ‘रिश्तों’ से ‘रास्ते’ मिल जाते है,
और कभी
‘रास्तों’ में ‘रिश्ते’ बन जाते हैं!
इसीलिए चलते रहिये और रिश्ते निभाते रहिये
खुशियाँ तो चन्दन की तरह होती हैं, दूसरे के माथे पे लगाओ तो अपनी उंगलियाँ भी महक जाती हैं..✒

Jeel Patel

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