ना आलोचना से डरिये और ना ही आलोचक से घृणा कीजिए आप तो बस उस पेड़ की तरह बनिये
जो फलने के लिए झुक जाता है और चाहे कोई पत्थर भी क्यों न मारे पर वह बदले में फल देना नहीं छोड़ता.
ना आलोचना से डरिये और ना ही आलोचक से घृणा कीजिए आप तो बस उस पेड़ की तरह बनिये
जो फलने के लिए झुक जाता है और चाहे कोई पत्थर भी क्यों न मारे पर वह बदले में फल देना नहीं छोड़ता.