अपनी “आदतों” के अनुसार(According to their “habits”)
चलने में इतनी “गलतियां” नहीं होती…
जितना “दुनिया” का ख्याल
और “लिहाज़” रखकर चलने में होती है….
अपनी “आदतों” के अनुसार(According to their “habits”)
चलने में इतनी “गलतियां” नहीं होती…
जितना “दुनिया” का ख्याल
और “लिहाज़” रखकर चलने में होती है….