कौन से “कपड़े” पहनूं….(What “clothes” should we wear)
लोग समझते हैं…
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जिससे मै अच्छा लगूं…
ये तो हम हर रोज सोचते हैं..
पर कौन सा “कर्म” करुं…
जिससे मै भगवान को अच्छा लगूं..
ये कोई कभी भी नही सोचता…
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जिससे मै अच्छा लगूं…
ये तो हम हर रोज सोचते हैं..
पर कौन सा “कर्म” करुं…
जिससे मै भगवान को अच्छा लगूं..
ये कोई कभी भी नही सोचता…