मनुष्य का अमूल्य धन
उसका व्यवहार है,
इस धन से बड़कर
संसार में कोई और धन नहीं।
पैसा आता है चला जाता है,
पैसा आपके हाँथ में नहीं है
पर व्यवहार आपके हांथों में हैं
व्यवहारकुशल बने रहिये,
*सदैव प्रसन्न रहें।*l
मनुष्य का अमूल्य धन
उसका व्यवहार है,
इस धन से बड़कर
संसार में कोई और धन नहीं।
पैसा आता है चला जाता है,
पैसा आपके हाँथ में नहीं है
पर व्यवहार आपके हांथों में हैं
व्यवहारकुशल बने रहिये,
*सदैव प्रसन्न रहें।*l