कभी-कभी “गुस्सा”,,,,
मुस्कुराहट से भी ज्यादा ‘स्पेशल’ होता है,
क्योंकि
“स्माइल” तो सबके लिए होती है,,,
मगर “गुस्सा” सिर्फ उसके लिए होता है,,,,
जिसे हम कभी “खोना” नहीं चाहते.
कभी-कभी “गुस्सा”,,,,
मुस्कुराहट से भी ज्यादा ‘स्पेशल’ होता है,
क्योंकि
“स्माइल” तो सबके लिए होती है,,,
मगर “गुस्सा” सिर्फ उसके लिए होता है,,,,
जिसे हम कभी “खोना” नहीं चाहते.