इन्सान भी अजीब है,
दुआ के वक्त समझता है
कि खुदा बहुत करीब है
ओर~
गुनाह के वक्त समझता है
कि खुदा बहुत दूर है
इन्सान भी अजीब है,
दुआ के वक्त समझता है
कि खुदा बहुत करीब है
ओर~
गुनाह के वक्त समझता है
कि खुदा बहुत दूर है