Sad Shayari
ज़िंदगी हमारी यूँ सितम हो गयी;
न “माँग” कुछ “जमाने” से(Don’t demand from world)
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ख़ुशी ना जाने कहाँ दफ़न हो गयी;
बहुत लिखी खुदा ने लोगों की मोहब्बत;
जब आयी हमारी बारी तो स्याही ही ख़त्म हो गयी।
ज़िंदगी हमारी यूँ सितम हो गयी;
न “माँग” कुछ “जमाने” से(Don’t demand from world)
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ख़ुशी ना जाने कहाँ दफ़न हो गयी;
बहुत लिखी खुदा ने लोगों की मोहब्बत;
जब आयी हमारी बारी तो स्याही ही ख़त्म हो गयी।